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जिले में 7 मॉडल व 85 प्राथमिक मॉडल स्कूलों को पुरानी इमारतों के साथ अपडेट कर मॉडल में बदला गया है। अपडेट हुए स्कूलों में कमरों की कमी, पुरानी इमारतों, अध्यापकों की कमी व पुरानी बिजली वायरिंग की समस्या से जूझ रहे है। वहीं बिजली बैकअप न होने के चलते यह डिजिटल बोर्ड स्कूली समय में बंद पड़े ही नजर आते है। अंग्रेजी माध्यम में तबदील हुए मॉडल स्कूलों को हाईटेक करने के दावे हरियाणा सरकार और शिक्षा निदेशालय के फेल साबित हो रहे है।
मॉडल स्कूलों में आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने व विद्यार्थियों का अंग्रेजी मॉडल स्कूलों में अधिक दाखिले करने के लिए स्मार्ट बोर्ड लगाए गए है। लेकिन गर्मी में बिजली कटों के चलते ये स्मार्ट बोर्ड मूर्छित पड़े हैं। अध्यापकों को छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड पर चॉक घीसाना पड़ रहा है। डिजिटल बोर्ड लगवाने का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक स्कूलों के प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सुविधा देना था, डिजिटल बोर्ड के माध्यम से चीजों को इजी टू लर्निंग में कर बच्चों को सीखाना था। लेकिन मॉडर्न बनाने के लिए सरकार द्वारा लगवाए गए डिजिटल बोर्ड बिजली बेकअप न होने के चलते स्कूलों में अब मात्र सजावट का सामान बन कर रह गए हैं।
इन डिजिटल बोर्डों के बंद होने के पीछे कोई खराबी या तकनीकी कारण नहीं है बल्कि डबल इनवर्टर न होने के कारण ये स्मार्ट बोर्ड बंद पड़े हैं। बिजली की कमी के चलते स्मार्ट बोर्ड धूल फांक रहे हैं। इन्हें लगाते वक्त बिजली की कमी को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई। जिससे यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। मॉडल स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं के साथ सीनियर कक्षाओं के लिए डिजिटल बोर्ड की सुविधा दी गई है। मॉडल सीनियर सेकंडरी स्कूलों में जेनरेटर व लाइट के लिए बैकअप है लेकिन 85 प्राथमिक स्कूलों में से एक में भी डबल इंवेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है। लाइट जाने पर केवल 05 से 10 मिनट का यूपीएस का ही बेकअप मिलता है। लेकिन इस दौरान बोर्ड पर कोई गतिविधी नहीं करवाई जाती। डिजिटल बोर्ड स्कूलों में इनवर्टर न होने के कारण इन दिनों मूर्छित अवस्था में पड़े हैं।